फिर सवेरा होगा काव्य संग्रह का लोकार्पण

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फिर सवेरा होगा काव्य संग्रह का लोकार्पण

गोरखपुर। युवा कवि मृत्युंजय उपाध्याय नवल की पुस्तक ‘फिर सवेरा होगा ‘ काव्य संग्रह का लोकार्पण कलेक्ट्री कचहरी के अधिवक्ता संघ सभागार में आयोजित कार्यक्रम में हआ ।


कार्यक्रम की शुरआत मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो अरविन्द त्रिपाठी ने कहा कि एक रचनाकार के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता ही सबसे बड़ी उपलब्धि है। नवल की रचनाएं वर्तमान की जटिलताओं , विषमताओं के प्रति एक प्रतिकार है। प्रेम के प्रति समर्पण है, पारिवारिक संबंधों के ताने बाने है।
प्रो. विमलेश मिश्र ने कहा कि नवल अपने कविताओं के माध्यम से समाज मे विघटित हो रही परंपराओं, बिंबो को सहेजने का कार्य करते हैं और जीवन के संघर्षों की रात से एक उजले सवेरे की उम्मीद है, जो समाज के उजाले भविष्य के लिए जरूरी हो जाता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार और साहित्य अकादमी के हिन्दी संयोजक आचार्य चित्तरंजन मिश्र ने कहा की ’फिर सवेरा होगा’ इस नाम से ही सुनहरे उजले भविष्य के प्रति एक आश्वस्ति और उम्मीद का संकेत विद्यमान है। नवल की अनुभूतियों और अभिव्यक्तियों में एक विरल टटकापन है, जो प्रेम से लेकर पारिवारिक संबंधों तक की गझिन संवेदनशीलता से रचा पागा है। उन संबंधों की गायब होती हुई ऊष्मा को फिर से रचने पाने की ललक है और अपने निजी अनुभवों को नई भाषा नए शब्द विन्यास से व्यक्त करने की बेचैनी है।
कार्ययक्रम के शुरुआत में डॉ अभिषेक शुक्ल निश्छल ने उपस्थित सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि नवल की रचनाओं में जीवन के विभिन्न पहलुओं के संघर्षों को देखा जा सकता है जो अपने समय की विसंगति और विरोधाभास पर तीखी चोट करती है।
इस अवसर पर अतिथियों का माल्यार्पण कर उन्हे स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। रचनाकार मृत्युंजय उपाध्याय नवल ने उपस्थित सभी अतिथियों पत्रकारों, और लेखकों के प्रति आभार व्यक्त किया। डॉ विनीता मिश्र ने नवल की कविताओं का पाठ किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ रवि कृष्ण ने किया।
इस अवसर पर रत्नाकर सिंह, बृजेश मणि मिश्र, डॉ उमा त्रिपाठी , रुद्रावती देवी, कवियत्री डॉ चारु शिला, प्रियम्बदा पांडे, आशुतोष उपाध्याय, के सी चौधरी, चंदन दिवेदी, डॉ चेतना पांडे, शैवाल शंकर श्रीवास्तव, बेचन पटेल, सहित शहर के कई साहित्यकार उपस्थित रहे।

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