जम्मू-कश्मीर विधान सभा चुनाव- रण में 40 फीसदी से भी ज्यादा निर्दलीय, गठबंधन के छूट रहे पसीने
56 वर्ष बाद आम चुनाव में निर्दल मैदान में
खड़गे, उमर, फारुख परेशान
स्वस्थ्य लोकतंत्र में निर्दल मैदान में हो आवश्यक
दिल्ली/श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा के गठन के लिए 90 सीटों पर होने जा रहे आम चुनाव में 908 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। जिसमे 365 यानी 40.19 प्रतिशत निर्दलीय हैं। जम्मू-कश्मीर में 1967 से 2024 तक किसी भी विधानसभा चुनाव में निर्दलीयों की यह दूसरी सबसे बड़ी संख्या है। जो बता रहा है कि धारा 370 समाप्त होने के बाद आम जनता में लोकतंत्र पुनः जीवित होने लगा है।
इससे पहले वर्ष 2008 में श्रीअमरनाथ भूमि आंदोलन के बाद हुए चुनाव में 1351 प्रत्याशियों में से 831 निर्दलीय थे। जम्मू-कश्मीर में मजबूत होते लोकतंत्र का ही परिणाम है कि नेताओं की नई पौध तैयार हो रही है। इस बार सबसे ज्यादा 22 निर्दलीय उम्मीदवार उत्तरी कश्मीर में सोपोर विधानसभा क्षेत्र में हैं।
बतादे कि एक समय सोपोर में चुनाव बहिष्कार का सबसे ज्यादा असर रहता रहा है। कट्टरपंथी सैयद अली शाह गिलानी और संसद हमले के दोषी आतंकी अफजल गुरु का संबंध सोपोर से ही था। चार विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों बुद्धल, कंगन, रामनगर और सिरीगुफवारा-बिजबिहाड़ा में एक भी निर्दलीय उम्मीदवार नहीं है।
भारत निर्वाचन आयोग के अनुसार कश्मीर में 47 विधानसभा क्षेत्रों में से प्रत्येक के लिए औसतन पांच निर्दलीय उम्मीदवार हैं। जम्मू संभाग में यह संख्या घटकर 2.93 प्रति निर्वाचन क्षेत्र है। बांडीपोरा में चुनाव लड़ रहे 20 में से 11 उम्मीदवार निर्दलीय हैं। डोडा पश्चिम, नौशहरा और रामगढ़ में एक-एक निर्दलीय उम्मीदवार हैं।
निर्दल प्रत्याशियों पर किसने क्या कहा आगे पढ़े- पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा कि निर्दलीय उम्मीदवारों को कश्मीर में वोटों को विभाजित करने के लिए मैदान में उतारा गया है। इसलिए हम अपने मतदाताओं को इनसे सावधान रहने को कह रहे हैं। दिल्ली नहीं चाहती कि कश्मीरियों की एक मजबूत राजनीतिक आवाज हो।
उमर गांदरबल व बड़गाम से चुनाव लड़ रहे नेकां उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा कि दिल्ली ने उनकी आवाज दबाने के लिए उनके खिलाफ बड़ी संख्या में निर्दलीय उम्मीदवारों को उतारा है। गांदरबल में चुनाव लड़ रहे 15 उम्मीदवारों में सात निर्दलीय हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि कांग्रेस और नेकां के मिलकर चुनाव लड़ने से भाजपा घबरा गई है। अब वह गठबंधन तोड़ने की कोशिश में है। वह हमारे उम्मीदवारों को हराने के लिए निर्दलीयों को मैदान में उतार रही है।
भाजपा के प्रवक्ता अल्ताफ ठाकुर ने कहा कि लोकतंत्र में यकीन रखने वाले सभी को चुनाव लड़ने का अधिकार है। नेकां, पीडीपी और कांग्रेस निर्दलीयों के चुनाव लड़ने पर दुष्प्रचार कर रही है। ये पार्टियां पहले ही अपनी हार की वजह ढूंढ रही हैं।