BJP यूपी मिशन 80- हेमा मालिनी, मेनका गांधी, वरुण गांधी, निरहुआ, रवि किशन सहित दो दर्जन सांसदों के टिकट पर लटकी तलवार
पीएम मोदी ने दिया स्पष्ट संकेत
उम्रदराज सांसदों को लेना होगा रिटायरमेंट
खराब छवि, क्षेत्र से नदारत को टाटा वाय वाय
दिल्ली डेक्स। जैसे-जैसे वर्ष 2024 की घड़ियां निकट आती जा रही है वैसे-वैसे राजनीतिक दलों की धड़कन तेज होती जा रही है।
देश की सत्ता पर काबिज होने के लिए पूरे भारत में दो धड़ो में राजनीतिक दल बट चुके हैं। पहला धड़ भाजपा के नेतृत्व वाला गठबंधन nda तो वहीं दूसरा बिहार के सुशासन बाबू नीतीश कुमार के प्रयास से कांग्रेस के नेतृत्व में l.n.d I a दोनों के बीच वाक युद्ध छिड़ चुके हैं।
आगामी लोकसभा सामान्य निर्वाचन में एनडीए पुनः सरकार बनाने पीएम मोदी को तीसरी प्रधानमंत्री बनने के लिए संगठन स्तर पर प्रत्येक छोटी बड़ी बदलाव कर रही है जो विजय का मार्ग प्रशस्त करता है।
भाजपा ने देश भर में सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में मिशन 80 चलाया है- इससे वर्षों से सांसद होते आ रहे गद्दार नेताओं के माथे पर पसीना क्यों छूट रहे हैं लिए…. यूपी की 80 लोकसभा सीटों पर कमल खिलाने का टारगेट बीजेपी, पीएम मोदी व सीएम योगी ने निर्धारित कर रखा है। क्योंकि देश के सत्ता की बागडोर व राजनीति यूपी से ही होकर गुजरती है।
मिशन 80 को पूरा करने के लिए विगत माह पीएम मोदी सांसदों के साथ बैठक की उन्होंने सभी को स्पष्ट संकेत दे दिया कि कोई भी अपना टिकट फाइनल ना समझे इस घटना के बाद बड़े-बड़े सांसदों की हवाइयां गुल हो गई। उन्होंने स्पष्ट संकेत दिया की उम्र दराज सांसदों को रिटायरमेंट के लिए तैयार रहना चाहिए भाजपा एक काफी बड़ी पार्टी है ऐसे में सभी को समायोजित करना मुश्किल है यह बातें प्रधानमंत्री ने अपने सांसदों के साथ हुई बैठक में कही थी।
पार्टी सूत्रों के अनुसार 2024 में यूपी के दो दर्जन से अधिक सांसदों के टिकट कर सकते हैं। इसमें प्रमुख रूप से हेमा मालिनी, वरुण गांधी, मेनका गांधी, बृजभूषण सिंह, रीता जोशी बहुगुणा, सत्यदेव पचौरी, राजेंद्र अग्रवाल, बीके सिंह, निरहुआ, रवि किशन के नाम शामिल।
आपको बता दें कि पीएम मोदी ने जो उक्त बातें यूपी में बीजेपी के दो अंदरूनी गोपनीय सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर कही है । दरअसल भाजपा ने यूपी में मिशन 80 का टारगेट रखा है 2014 2019 के चुनाव की तरह इस बार भी बीजेपी यूपी के सहारे दिल्ली की कुर्सी पर काबिज होना चाहती है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बीजेपी बीते तीन माह पहले जो दो इंटरनल सर्वे कराई उसमें कुल तीन बिंदुओं को लिया गया जिसमें पहला सांसदों का उनके क्षेत्र में परफॉर्मेंस, जनता के बीच उपस्थिति, दूसरा उनकी लोकप्रियता तीसरा उनके उम्र की एक्टिविटी जिसमे दो दर्जन से अधिक संसद अनफिट पाये गये है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीसरे टर्म की तैयारी तेज कर दी है। मोदी ने NDA के 44 सांसदों की क्लास ली। ये क्लास पार्लियामेंट की एनेक्सी बिल्डिंग में लगी। दो सेशन हुए। मास्टर मोदी ने सांसदों को पुचकारने के साथ सख्त हिदायत भी दी।उत्तर प्रदेश के सांसदों की बैठक में मोदी ने दो टूक कह दिया कि आप में से कोई भी अपना टिकट पक्का न समझें। उम्रदराज सांसदों को रिटायरमेंट के लिए तैयार हो जाना चाहिए।
अधिक उम्र के कारण जिन 7 सांसद के टिकट पर तलवार लटकी है उसमे मथुरा से हेमा मालिनी 76 वर्ष, गाजियाबाद से वीके सिंह 73 वर्ष, प्रयागराज से रीता जोशी बहुगुणा 75 वर्ष, बरेली से संतोष गंगवार 76 वर्ष, कानपुर से सत्यदेव पचौरी 77 वर्ष, बहराइच से अक्षयवर लाल गोड़ 77 वर्ष, मेरठ से राजेंद्र अग्रवाल 73 वर्ष का नाम शामिल है।
बीजेपी का प्रत्येक चुनाव में एक ही फॉर्मूला विजय…जीत
सियासी गलियारों में बीजेपी के लिए कहा जाता है कि चुनाव कोई भी हो। उसका केवल एक ही फॉर्मूला रहता है। वह है जीत का। इसके लिए बीजेपी किसी का टिकट काटने में गुरेज नहीं करती है। दूसरे दलों से आए लोगों को टिकट देने में भी देरी नहीं करती।
पीएम मोदी सांसदों को इसका संकेत दिल्ली में हुई बैठक में दे चुके हैं। सूत्रों के मुताबिक, पीएम ने कई मौजूदा सक्रिय विधायकों को भी लोकसभा टिकट दिए जाने का संकेत दिया। पीएम ने सांसदों को समझाते हुए यहां तक कहा कि NDA में सहयोगी दलों की वजह से कई सांसदों को टिकट से समझौता करना पड़ सकता है। यही नहीं, मीटिंग में एक सांसद ने रिपोर्ट कार्ड का हवाला दिया तो मोदी ने समझाया कि अच्छा काम करने वाले सांसदों को भी सीट छोड़नी पड़ सकती है।
जिन सांसदों को सीट छोड़नी पड़ सकती है उसमें लगभग डेढ़ दर्जन से अधिक के नाम शामिल हैं… जिसमे अधिक उम्र क्षेत्र में कम रहने व परफार्मेंस ठीक नही होने के कारण पीलीभीत से श्रीमती मेनका गांधी, सुल्तानपुर से वरुण गांधी, अकबरपुर से देवेन्द्र सिंह भोले, बाँदा से आर के पटेल, फूलपुर से केसरी देवी पटेल बाराबंकी से उपेंद्र रावत, फरुखाबाद से मुकेश राजपूत, हाथरस से राजबीर दिलेर, मछलीशहर से वी पी सरोज, भदोही से रमेश चंद विन्द, प्रतापगढ़ से संगम लाल गुप्ता, हरदोई से जय प्रकाश रावत, कैसरगंज से ब्रिज भूषण शरण सिंह, पडरोर कुशीनगर से विजय दुबे, खलीलाबाद सन्तकबीरनगर से प्रवीण निषाद, गोरखपुर से रवि किशन का क्षेत्र में आम जनता के बीच सीधा संपर्क नही रहने, आजमगढ़ से दिनेश लाल यादव निरहुआ तथा बांसगांव से कमलेश पासवान का नाम क्षेत्र में खराब परफार्मेंस, भूमि विवाद इत्यादि सामने आया है।
2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी एक बार फिर 2014 और 2019 के पुराने सफल फॉर्मूले को आजमाने जा रही है। बीजेपी इस बार भी प्रदेश सरकार के कुछ मंत्रियों और विधायकों को चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी कर रही है।
गौरतलब है कि 2014 के चुनाव में बीजेपी ने उस वक्त विधायक रही उमा भारती, केशव प्रसाद मौर्य, सावित्रीबाई फुले, हुकुम सिंह, कुंवर भारतेंदु सिंह, राघव लखन पाल, कलराज मिश्रा, महेश शर्मा और कुंवर सर्वेश कुमार को भी चुनाव मैदान में उतारा था। इनमें से ज्यादातर ने जीत हासिल की थी।
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भी प्रदेश सरकार के चार मंत्रियों समेत कुल 8 विधायकों को चुनाव मैदान में उतारा था। इनमें से ज्यादातर ने जीत हासिल की थी। जिन मंत्रियों को उस वक्त लोकसभा चुनाव लड़ाया गया था। उनमें रीता बहुगुणा जोशी, सत्यदेव पचौरी, एसपी सिंह बघेल और मुकुट बिहारी वर्मा शामिल थे।
इनमें मुकुट बिहारी वर्मा को छोड़ बाकी तीनों मंत्री चुनाव जीतने में कामयाब रहे। इसके अलावा, जिन विधायकों को इस लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया गया था उनमें आर के पटेल, राजवीर सिंह दिलेर, प्रदीप कुमार और अक्षयबर लाल गौंड शामिल थे।
बता दे कि वर्ष 2019 में बीजेपी ने 12 से ज्यादा सांसदों के टिकट काटे
चुनाव में टिकट बदलने की बीजेपी में पुरानी परंपरा है। साल 2019 में जब लोकसभा के चुनाव यूपी में हुए तो करीब 12 सांसदों के टिकट कटे थे। वहीं, अगर 2022 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो उस वक्त बीजेपी ने लगभग 80 से ज्यादा विधायकों के टिकट काट दी और कुछ के टिकट बदल दी।