जिलाधिकारी ने प्रधानों को बताया कैसे करें गांव का विकास

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जिलाधिकारी ने प्रधानों को बताया कैसे करें         गांव का विकास

ठोस तरल अपशिष्ट प्रबंधन से होगा गांव का सामुदायिक विकास

*गांव गांव में होगा PRA विधि के माध्यम से ग्रामीण सहभागी आकलन

*ट्रैक्टर चार पहिया वाहन शस्त्र धारक नौकरी व पेंशन धारक आएंगे अपात्र के श्रेणी में- डीएम

मुख्य संवाददाता
गोरखपुर। पंचायती राज विभाग द्वारा आयोजित ग्राम प्रधानों के दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम गंभीर नाथ प्रेक्षागृह में आयोजित किया गया। सोमवार को जनपद के 10 ब्लॉकों के ग्राम प्रधानों के साथ जिलाधिकारी विजय किरन आनंद सहित संबंधित विभागों के अधिकारी रूबरू हुए और अपने-अपने विभागों द्वारा प्रदेश सरकार द्वारा संचालित होने वाली महत्वकांक्षी योजनाओं व परियोजनाओं के बारे में जानकारियां दिया कि अपने ग्राम सभाओं में सरकार द्वारा चलाई जा रही महत्वकांक्षी योजनाओं का लाभ हर ग्रामवासी के पास पहुंचाने की जिम्मेदारी ग्राम प्रधानों को है।


मंगलवार को जिलाधिकारी विजय किरन आनंद ने कहा कि ग्राम प्रधान अपने ग्राम पंचायत के विकास के लिए नई योजनाएं बनाएं, उनके क्रियान्वयन में पूरा सहयोग किया जाएगा। कार्यशाला में ग्राम प्रधानों को संबोधित करते हुए डीएम विजय किरन आनंद ने कहीं। योगीराज बाबा गंभीर नाथ प्रेक्षागृह एवं सांस्कृतिक केंद्र में सोमवार को जनपद के 10 ब्लाकों के ग्राम प्रधानों को सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया, मंगलवार को बचे 10 ब्लॉकों के ग्राम प्रधानों का कार्यशाला आयोजित कर उनको महत्वकांक्षी योजनाओं के बारे में बताया गया। मंगलवार को विकासखंड कौड़ीराम, खजनी, खोराबार, पाली, पिपराइच, पिपरौली, सहजनवा, सरदारनगर, उरुवा, भरोहिया के ग्राम प्रधान प्रशिक्षण में प्रतिभाग किये।
ग्राम पंचायतों में संचालित समस्त योजनाओं की जानकारी दी गई। कार्यशाला में डीएम ने ग्राम प्रधानों से कहा कि भारत सरकार एवं राज्य सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं को जनता तक पहुंचाने में पूरी पारदर्शिता बरती जाये। यदि किसी योजना अथवा विभाग में किसी भी प्रकार की कोई कमी पाई जाती है तो तत्काल प्रभाव से संबंधित के विरुद्ध कार्रवाई भी की जाएगी। ग्राम प्रधानों के माध्यम से ग्राम पंचायतों में ग्रामीण सभा की आकलन यानी पिआरे गतिविधि आयोजित कर ग्राम सभा के कार्यों का आकलन किया जाना आवश्यक है जिससे ग्राम पंचायत की विकास योजना तैयार करते हुए ग्राम पंचायतों पर वृहद ठोस तरल अपशिष्ट प्रबंधन पर कार्य करने की आवश्यकता है। ग्रामीण इलाकों में प्रतिदिन लगभग 1500 से 1800 करोड़ लीटर तरल कचरा और लगभग 3 से 4 लाख टन ठोस अपशिष्ट पैदा होता है। ठोस तरल अपशिष्ट प्रबंधन से गांव का होगा। सामुदायिक विकास यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण माध्यम है जिससे गांव का विकास संभव हो सकेगा। ग्राम पंचायतों में स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण योजना में सोखता गड्ढे और कंपोस्ट पिट का निर्माण प्राथमिकता के आधार पर कराया जाना है। यह जिम्मेदारी ग्राम प्रधानों को दी गई है। ग्राम प्रधान अपने-अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए मनरेगा मजदूरों द्वारा गांव का विकास कराएं जिससे मनरेगा मजदूर गांव में ही कार्य करके अपने और अपने बच्चों का जीविकोपार्जन कर सकेंगे।
जिलाधिकारी ने कहा कि जिला पूर्ति विभाग द्वारा पात्र अपात्र का चयन करें गांव में किसी के पास ट्रैक्टर चार पहिया वाहन शस्त्र धारक नौकरी पेंशन धारक हैं तो उन्हें राशन नहीं दिया जाएगा। वह अपना प्रार्थना पत्र देकर पूर्ति विभाग से नाम कटवाने का कार्य करें और कार्रवाई से बचें जिससे लाभार्थियों को समय से राशन मिल सके, जो अपात्र हैं उनका नाम सूची से निकाला जा सके। इसमें ग्राम प्रधानों का सहयोग अपेक्षित है। ग्राम सभाओं में आंगनबाड़ी केंद्र भवन के निर्माण कार्यों में सहयोग करें जल्द से जल्द निर्माण कार्यों को पूर्ण करें। महिला सशक्तिकरण के अंतर्गत महिलाओं को सशक्त बनाया जाए शिक्षा विभाग द्वारा संचालित समस्त योजनाओं का लाभ छात्र छात्राओं को उपलब्ध कराया जाए जिससे छात्र छात्राएं शिक्षित होकर जनपद और प्रदेश देश का नाम रोशन कर सकें। राष्ट्रीय आजीविका मिशन योजना के अंतर्गत हर गरीब को सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ पहुंचाया जाए। गांव में कच्ची गलियों को पक्की बनाया जाये, जनपद के 1294 ग्राम सभाओं में 1500 किलोमीटर से अधिक कच्ची गलियों को पक्की बनाया जाना है, अब तक 239 किलोमीटर कच्ची गलियों को पक्की बनाया गया है। ग्राम सभाओं का विकास तभी संभव होगा जब ग्राम प्रधान बिना किसी भेदभाव के ग्राम सभाओं का विकास कराने में तत्पर रहे।
डीपीआरओ हिमांशु शेखर ठाकुर ने ग्राम प्रधानों से कहा कि ग्राम पंचायतों में बने सार्वजनिक सुलभ शौचालय को कम से कम सुबह 5 से 9 तक शाम को 5 से 8 तक जरूर खोला जाए। शौचालय की सफाई हेतु मानदेय पर महिलाओं को रखा गया है। उन्हें 6000 प्रति माह मानदेय दिया जा रहा है। ग्राम प्रधान अपने स्रोतों के द्वारा 1000 और बड़ा कर दे सकते हैं। जिससे मानदेय पर रखें गये कर्मचारियों का जीविकोपार्जन सही तरीके से हो सके।
कार्यशाला में अन्य संबंधित विभागों से संबंधित अधिकारीगण अपने अपने वक्तव्य दिए, साथी यूनिसेफ के विशेषज्ञ कमलेश कुमार के द्वारा ऑपरेशन कायाकल्प के बारे में विधिवत जानकारी दिया कि अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूलों में बच्चों के प्रयोग हेतु हैंड वॉशिंग फैसिलिटी एवं शौचालय तथा फर्स्ट का टेली करण दीवारों पर चित्र लेखन एवं स्मार्ट क्लास बनाए जाने की तैयारियों के बारे में जानकारी दी गई।
स्टेट रिसोर्स पर्सन शशि भूषण सिंह के द्वारा ठोस तरल अपशिष्ट प्रबंधन ग्राम पंचायतों में किस तरीके से सदुउपयोगी बनाया जाए जिससे समुदाय स्तर पर अधिकतम लोगों को लाभान्वित किया जा सके जिसके लिए सर्वप्रथम सोक पिट का निर्माण कंपोस्ट पिट का निर्माण नाडेप का निर्माण ह्यूम पाइप का निर्माण नाली का निर्माण, कूड़ा घर का निर्माण कूड़ा पृथक्कीकरण, एवं उसका सदुपयोग जिससे सरकार द्वारा चलाई जा रही महत्वाकांक्षी योजनाओं का लाभ ग्राम प्रधानों के मार्फत ग्राम वासियों को मिल सके।
कार्यशाला में उक्त के अलावा सीडीओ इंद्रजीत सिंह, जिला कार्यक्रम अधिकारी हेमंत सिंह, जिला पूर्ति अधिकारी रामेंद्र प्रताप सिंह, सीआरओ सुशील कुमार गौड़, बच्चा सिंह, जिला समन्वयक, स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण, शशि भूषण सिंह, जिला सलाहकार, ठोस तरल अपशिस्ट प्रबंधन, अंकित मिश्रा, आशीष चौधरी, नीरज श्रीवास्तव, आनन्द चतुर्वेदी सहित अन्य सम्बंधित अधिकारी मौजूद रहे।

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