संघ शरीर तो शाखा है प्राण, स्वयंसेवक है धड़कन : प्रांत प्रचारक रमेश
*संघ की शाखा में दिखता है राष्ट्रीयता का प्रमाण: प्रांत प्रचारक रमेश
गोरखपुर। डॉ. हेडगेवार द्वारा विजयादशमी के दिन सन 1925 में रोपित बीज अब वट वृक्ष बन चुका है जिसके फलस्वरूप देशभक्ति का एक प्रचंड स्वरूप समाज में दिखाई दे रहा। देश की समस्याओं का समाधान प्रखर राष्ट्रभक्ति का अलख जगाने से होगा। संघ की शाखा समाज और राष्ट्र को सुरक्षित रखने के लिए शक्ति प्रदान करने वाला एक केंद्र है। शाखा में राष्ट्रीयता और राष्ट्रभक्ति का प्रमाण दिखता है, जिसके माध्यम से सर्व समाज को लेकर चलने की प्रेरणा स्वयंसेवकों को मिलती है। शाखा ही संघ के कार्य का आधार है। व्यक्ति निर्माण का सबसे बड़ा केंद्र बिंदु शाखा है।
उक्त बातें गोरक्ष प्रांत के प्रांत प्रचारक रमेश ने दिग्विजयनाथ पार्क तारामंडल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गोरखपुर दक्षिणी भाग द्वारा आयोजित शाखा संगम कार्यक्रम में स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा। कार्यक्रम का शुभारंभ प्रांत प्रचारक रमेश जी, प्रांत संघचालक डॉ महेंद्र अग्रवाल और सह भाग संघचालक शिव शंकर द्वारा दीप प्रज्वलन एवं भारत माता व डॉ. भीमराव अंबेडकर को पुष्प अर्पित कर किया गया।
डॉ अंबेडकर और डॉ हेडगेवार का एक ही ध्येय था ” समरस समाज”- प्रांत प्रचारक रमेश ने कहा कि डॉ भीमराव अंबेडकर का पूरा नाम डॉ भीमराव राम जी अम्बेडकर था, लेकिन वामपंथियों एवं कुछ तथाकथित लोगों को मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के नाम से इतना घृणा हो गई कि उनके नाम से भगवान राम का नाम तक बाहर कर दिया और इतने बड़े समाज सुधारक को एक जाति में बांधकर रख दिया। उस समय समाज में कितनी कुरीतिया विसंगतियों थी पर तमाम चुनौतियों का सामना करते हुए उन्होंने संघर्षों के बीच कामयाबी हासिल की और समाज में बहुत बड़े स्तर पर सुधार किया। उन्होंने संदेश दिया कि शिक्षित बनो,संघर्ष करो और संगठित रहो, यही काम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कर रहा। शिक्षित बनाने, प्रशिक्षित बनाने और आततायियों से संघर्ष की दिशा में समाज को संगठित करने का कार्य कर रहा। डॉ अंबेडकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से बहुत प्रभावित थे। 1939 में डॉ अंबेडकर ने संघ के एक शिविर में समानता, समरसता और एकता देख कर वो बहुत खुश हुए।। वहीं 2 जनवरी 1940 में जब उन्हें एक शाखा के एकत्रीकरण में जाने का अवसर मिला तो स्वयंसेवकों का समाज और राष्ट्र के प्रति समर्पण भाव देख बहुत प्रभावित हुए। शाखा और शिविर में छोटे बड़े सभी वर्गों के लोगों को एक साथ रहते, एक साथ भोजन करते और एक साथ निवास करते हुए देख डॉ अंबेडकर ने कहा कि ऐसी समानता और समरसता किसी संगठन में नहीं देखी। संघ समाज में बहुत अच्छा कार्य कर रहा इसकी गति बढ़ाने की जरूरत है। संघ समाज में जितना समरस होगा, समाज उतना की सशक्त होगा। डॉ अंबेडकर और हेडगेवार का एक ही ध्येय था वो था समरस समाज। संघ और डॉ अंबेडकर के विचार एक समान थे दोनों ही अखंड राष्ट्रवाद के पक्षधर है। समान नागरिक संहिता, धारा 370, हिन्दू हिंदुत्व समरसता जैसे कुछ ऐसे विषय थे जिस पर संघ और डॉ अंबेडकर एक समान राय रखते थे। संघ के तृतीय सरसंघचालक बालासाहेब देवरस ने छुआछूत मुक्त समाज की सदैव बात करते थे जो डॉ अंबेडकर के विचारों से प्रेरित था। आगे उन्होंने कहा कि आज समाज में कुछ लोग अलग अलग भ्रम और भ्रांतियां फैला रहे, ऐसे लोगों से समाज को बचना होगा।
उन्होंने कहा कि संघ में सामूहिकता का महत्व है। समाज और राष्ट्र निर्माण में तन समर्पित मन समर्पित और यह जीवन समर्पित के समर्पण त्याग बलिदान का भाव लेकर देशविरोधी शक्तियों को मुंहतोड़ जवाब देने का कार्य शाखा में प्रशिक्षित स्वयंसेवक करता है।
उन्होंने कहा कि 2 अक्टूबर 2025 से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का शताब्दी वर्ष मनाया जायेगा। सात चरणों में अलग अलग कार्यक्रम होंगे। आज यहां दक्षिण भाग के शाखाओं का महाकुंभ शाखा संगम के रूप में हुआ है। शाखा संगम के माध्यम से यह प्रयास किया गया है कि स्वयंसेवकों में मानस भाव बने कि सामूहिक कार्यक्रम कैसे करना है। हमे शताब्दी वर्ष में संघ का विराट स्वरूप हमें गांव गांव तक लेकर जाना है। घर घर तक संघ का संपर्क हो जाए इसका प्रयास करना है।
मंच पर मुख्य वक्ता रमेश के साथ प्रांत संघचालक डॉ महेंद्र अग्रवाल, सह भाग संघचालक शिव शंकर उपस्थित रहे। महंत दिग्विजयनाथ पार्क में आयोजित शाखा संगम में एक ही मैदान में दक्षिण भाग के 10 नगरों में संचालित 82 शाखाएं अलग अलग लगी, जिसमें हर आयु वर्ग के एक हजार 365 स्वयंसेवकों सम्मिलित हुए। सभी शाखा एक साथ लगी और शाखा में होने वाली गतिविधियां जैसे योग आसन, सूर्यनमस्कार, खेल आदि संचालित हुआ। बड़े बुजुर्ग और बाल सभी स्वयंसेवकों में बहुत उत्साह था। प्रवासी कार्यकर्ताओं द्वारा शाखाओं का निरीक्षण किया गया।
संघ के संगठनात्मक कार्य- देश भर में कुल 83 हजार 329 शाखाएं है। गोरक्ष प्रांत में कुल दो हजार 258 शाखाएं कार्य कर रही हैं। शताब्दी वर्ष में 6 लाख गांवों में जायेंगे और आठ हजार नए शाखाओं का लक्ष्य रखा गया है।
समापन के पूर्व स्वयंसेवकों ने संघ प्रार्थना के द्वारा सबल एवं सशक्त राष्ट्र निर्माण का संकल्प लिया, मुख्य शिक्षक द्वारा ह्विसिल बजाकर शाखा संगम का विकिर किया गया।
इस अवसर पर प्रमुख रूप से प्रांत संघ चालक डा महेंद्र अग्रवाल, अजय नारायण विभाग प्रचारक, विभाग कार्यवाह संजय श्रीवास्तव,
सह भाग संघ चालक शिवशंकर, आत्मा सिंह, मनीष दक्षिण भाग प्रचारक, भाग कार्यवाह अभिषेक समस्त नगरों के नगर संघचालक एवं नगर कार्यवाह सहित हजारों की संख्या में स्वयंसेवक गण उपस्थित रहे।