भक्ति ऐसी हो कि भक्त और ईश्वर में अंतर मुश्किल हो जाये- ब्रह्मचारी सौम्यानंद
गोरखपुर। जिस तरह नदी या कुएं में फेके गए चीनी के बोरे को कुछ देर बाद ढूंढना मुश्किल हो जाता है क्योंकि सारी चीनी पानी में घुल चुकी होती है ठीक वैसी ही भक्ति होनी चाहिए ताकि *भक्त और ईश्वर* में अंतर करना मुश्किल हो जाए, उक्त बातें ब्रह्मचारी सौम्यानंद द्वारा गोरखनाथ स्थित ग्रीन वैली परिसर में आयोजित एक विशेष शिविर में कही गई।
गुरु शिष्य परंपरा की प्रत्यक्ष आध्यात्मिक संस्था योगदा सत्संग समिति ध्यान मंडली गोरखपुर के तत्वाधान में आयोजित एकदिवसीय विशेष शिविर में मुख्यालय रांची से पधारे स्वामी सदानंद और ब्रह्मचारी सौम्यानंद द्वारा पांच अलग-अलग सत्रों में क्रिया योग और सत्संग पर प्रकाश डाला गया। इसके अतिरिक्त स्वामी सदानंद ने उपस्थित साधकों के बीच कुछ महत्वपूर्ण क्रिया योग के आसान भी कराए। आपको बता दें बता दे कि गोरखपुर में जन्मे परमहंस योगानंद द्वारा 1917 में योगदान सत्संग समिति ऑफ़ इंडिया की स्थापना की गई थी।
रविवार को इस महत्वपूर्ण शिविर के दौरान गोरखपुर परिक्षेत्र के प्रेसिडेंट प्रोफेसर आरसी श्रीवास्तव द्वारा दोनों संन्यासियों का स्वागत किया गया। दीक्षा ले चुकी डॉक्टर क्षमा पांडे, श्रुति, नीलम श्रीवास्तव, अरविंद पांडे समेत कई अन्य साधक भी इस मौके पर मौजूद रहे।इस मौके पर रमेश चंद्र श्रीवास्तव, अखिलेश श्रीवास्तव, श्रेयांश, सुधीर यादव, कुंवर सिंह समेत कार्यकर्ताओं का अतुलनीय सहयोग कार्यक्रम को सफल बनाने में रहा।