बाढ़ से पहले ही हरी सब्जियों के ‘भाव’, सातवें आसमान पर
जेब ढीली कर रहे टमाटर, अदरक के साथ परवल और हरी मिर्च
गोरखपुर। गोरखपुर व उसके आसपास के जनपदों में बाढ़ आने से पहले ही हरी सब्जियों का दाम सातवें आसमान पर पहुंच गया है जिससे आम जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। गोरखपुर मंडल के लगभग सभी क्षेत्रों में हरी सब्जियों की खेती स्थानीय स्तर पर की जाती है फिर भी बाजार में बारिश वह बाढ़ को दिखाते हुए व्यापारी सब्जियों की कालाबाजारी कर रहे हैं।
फुटकर भाव में सब्जियां आम जनता की पहुंच से बाहर हो चुकी है। बैगन ₹80 किलो तो वही परवल 80 से 100 रुपये, लाल लाल टमाटर खून के आंसू भी रुलाने में लगे हैं। फुटकर बाजार में टमाटर की कीमत ₹140 से ₹160 व्यापारी बेच रहा है।
गोरखपुर जनपद में कुल 13 नदियों से लगभग 70% हिस्सा बाढ़ से प्रभावित हो जाता है। आपको बता दें कि इन सभी नदियों में अभी बाढ़ के पानी का जलस्तर नदियों के पेट के अंदर ही है। बाढ़ अभी बनाई नहीं है उधर विलंब से आए मानसून अब तक झमाझम बारिश की जगह हल्की फुल्की बरसात ही करते रहे फिर भी कालाबाजारी में संलिप्त व्यापारियों को बारिश व बाढ़ का बहाना पहले ही मिल गया और सब्जियों का दाम सातवें आसमान पर पहुंचा दिए। इस दिशा में अभी तक जिला प्रशासन के द्वारा कोई भी ठोस कार्यवाही नहीं की गई है जिसके कारण सब्जी विक्रेता लगातार और नियमित रूप से बाजार को और नियंत्रित कर चुके हैं। अस्थानी किसानों का कहना है कि व्यापारियों से सब्जी के भाव वह नहीं मिल रहे हैं जिस दर में बाजार में बिक्री की जा रही है।
गोरखपुर के पाली, सहजनवा, भरोहिया, कैंपियरगंज, भटहट, पिपराइच, खजनी विकासखंड के अधिकांश किसान सब्जियों की अच्छी पैदावार कहते हैं, जिसे वह स्थानीय व्यापारियों के हाथ थोक भाव में खेत में ही भेजते हैं। खेत से सब्जियां बाजार तक आते-आते सातवें आसमान पर पहुंच जा रही हैं। जिला पूर्ति विभाग के द्वारा अभी तक सब्जी विक्रेताओं पर कोई भी विधि संगत कार्यवाही नहीं की गई है।
हमारे प्रतिनिधियों के अनुसार रुस्तमपुर बेतियाहाता बशारतपुर, गोरखनाथ, इत्यादि क्षेत्रों में टमाटर 140 से ₹160, परवर 80 से ₹100, नेनुआ 50 से ₹60, भिंडी 50 से ₹60, आलू ₹25, तुरई 40 से ₹50, लौकी 40 से ₹50, बैगन 60 से ₹80, अदरक 350 से ₹400, हरा मिर्च 120 से 140, बंडा 35 से ₹40, अरुई 40 से ₹60, चौरई का साग 40 से ₹60 के भाव में स्थानीय व्यापारी आम नागरिकों के जेब पर डकैती डाल रहे है।