कांग्रेस की डूबती नईया का पतवार खड़गे के हाथ में
कमान के बदलाव से कितनी बदलेगी कांग्रेस
खड़गे के समक्ष क्या होंगी चुनोतियों का पहाड़
नई दिल्ली डेक्स। वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे बुधवार को कांग्रेस के नए अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित हुए। खड़गे को कांग्रेस की कमान उस वक्त मिली है जब उसकी नईया मझधार में डूबती हुयी दिख रही है। खड़गे अपने प्रतिद्वंद्वी शशि थरूर को 6,825 मतों के अंतर से शिकस्त दी। कांग्रेस के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के प्रमुख मधुसूदन मिस्त्री ने 17 अक्टूबर को अध्यक्ष पद के लिए हुए चुनाव नतीजों का एलान किया। दलित समुदाय से आने वाले 80 वर्षीय खड़गे की पहचान एक जमीनी नेता की है।
खड़गे के हाथ कांग्रेस की पतवार आने के बाद कितनी बदलेगी यह यक्ष प्रश्न भविष्य के गर्भ में है। खड़गे के समक्ष चुनोतियों का पहाड़ है। जिसकी चढ़ाई ग्राउंड स्तर पर असन्तुष्ट नेताओ, कार्यकर्ता विहीन संगठन सामने है। ऐसे में आगामी लोकसभा चुनाव में दलित व आदिवासी मतदाताओं तक कांग्रेस कितना प्रभाव डाल पाती है यह प्रश्न बना हुआ है।
अध्यक्ष के तौर पर कांग्रेस की कमान संभालने के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे को उक्त लोकसभा चुनाव के अलावा कई अन्य चुनावी परीक्षाओं से गुजरना होगा। इस साल गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव, उत्तर प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में खड़गे के कार्यकाल की शुरुआत इन चुनावी परीक्षाओं से होनी है। चुनावी परीक्षाओं का सिलसिला आगे जारी रहेगा क्योंकि अगले साल की शुरुआत में कर्नाटक में भी विधानसभा चुनाव होने हैं। जाहिर है खड़गे से बेहतर प्रदर्शन की अपेक्षाएं भी होंगी।
कांग्रेस के इतिहास पर नजर डालें तो पूरे 51 वर्ष बाद कोई दलित नेता पार्टी अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहा है। चूंकि गुजरात, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में दलित मतदाता चुनावों में अहम भूमिका निभाते हैं ऐसे में मल्लिकार्जुन खड़गे से उक्त सभी चुनावों में अपेक्षाएं ज्यादा होंगी। साल 2017 में हुए विधानसभा चुनावों में अधिकांश आदिवासी और दलित मतदाताओं ने भाजपा पर भरोसा जताया। इसलिए मल्लिकार्जुन खड़गे पर दलित मतदाताओं को अपने पाले में करने की चुनौती भी होगी।