नगर पंचायत गोला में समाहित गाव बिसरा मेरुण्ड

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नगर पंचायत गोला में समाहित गाव बिसरा मेरुण्ड

कोहना रामामऊ गोड़ियाना सोढाबीर नयकान टोला तिरागाव बारां नगर रतनपुरा आदि गावो की स्थित बनी दयनीय

स्थानीय प्रशासन द्वारा बचाव में उपलब्ध सुबिधाये अपर्याप्

बृजनाथतिवारी
गोलाबाजार गोरखपुर। गोला तहसील मुख्यालय के बगल मे स्थित नगर पंचायत गोला में समाहित गाँव बिसरा पूरी तरह मेरुण्ड हो गया है ।गांव से कुछ लोगो का परिवार नाव द्वारा बाहर निकल चुका है तो कुछ लोग अपने मकानों के छतों पर घर गृहस्ति का सामान लेकर पड़े हुए है । नाव का इंतजार कर रहे है ।घरों में पानी अचानक भर जाने के कारण खाद्यान व मवेशियों के चारे सब घर मे रखे डूब गए है ।जिससे अब लोगो मे सामने अन्न व मवेशियों के चारे का भीषण संकट मुँह बाए खड़ा पड़ा है । इतना ही नही बगल के गांव परनयी कोहना कौड़िया तिरागाव भदौरा गोड़ियाना सोढाबीर बारा नगर रामामऊ आदि नदी के तट पर बसे गाँव पूरी तरह जलमग्न पड़े हुए है।

नदी अभी भी बढ़ाव पर है ।जन मानस का जीवन अपने मवेशियों के साथ संकट में पड़े दिख रहे है। हालांकि तहसील प्रशासन द्वारा नाव की ब्यवस्था दी गयी है लेकिन ब्यवस्था अपर्याप्त दिखाई पड़ रही है ।पानी मे घिरे लोगो के सामने भोजन , शुद्ध पेयजल के साथ नित्य क्रिया के लिए स्थान का घोर संकट खड़ा पड़ा है। बाढ़ के प्रकोप से जहरीले जानवर भी लोगो के आवासों पर अपना आशियना बनाने को।मजबूर बने हुए है ।बीती रात में नदी के जल का स्तर गोला से उरुवा जाने वाली ऊंची सड़क को बिसरा गांव के पास आर पार होकर गिरने लगा ।इतना ही नही सड़क पर लगभग एक फिट पानी चढ़ गया ।जिससे पुलिस प्रशासन द्वारा भारी वाहनों को गोपालपुर तिराहे से चीनीमिल की तरफ मोड़ दिया गया। लोगो का कहना है कि बर्ष 98 की बाढ़ को 22 की बढ़ने मात दे दिया है ।
बताते चले कि बर्ष 98 में आई बाढ़ में यह गोला से उरुवा जाने वाला सड़क मार्ग लगभग तीन फीट नीचे था ।उस समय भी बाढ़ ने अपनी त्रासदी खूब दिखायी थी
गांवो मे नाव से हीलोग आते जाते थे ।लेकिन गोला से गोपालपुर तक सड़क तीन फीट से भी ऊंचा लोक निर्माण बिभाग द्वारा कर दिया गया।उसके बाद भी सरयू नदी का जल स्तर सड़क पर एक फिट ऊंचा होकर आर पार गोर रहा है ।बिसरा गांव के लोग जिन्हें नाव का साधन मिल गया वह तो अपने परिजनों व मवेशियों के साथ अपना आशियाना छोड़कर ऊंचे स्थानों पर आ गए है लेकिन बहुत से लोग साधन न मिलने के कारण अपने मकानों के छतों में बिना खाये पिये अपनी गृहस्ती को लेकरपड़े हुए है ।लोगो का कहना है कि प्रशासन द्वारा आठ नाव की ब्यवस्था दी गयी है लेकिन जिसकी लाठी उसी की भैंस वाली कहावत आज भी इस देवी आपदा में पूरी तरह बरकरार है ।सक्षम लोग नाव को अपने ताबे में ले लिए है जिससे आम जनता को प्रशासन द्वारा दी गयी सुबिधा प्राप्त नही हो पा रही है।और ऐसे लोग सड़क पर आकर बिलबिलाते नजर आ रहे है। समाजसेवियों द्वारा अल्पाहार में भुजा व पैकेट आदि की ब्यवस्था बनाई जा रही है ।नगर पंचायत गोला द्वारा सचल शौचालय व पीने के लिए टैंकर के पानी की ब्यवस्था भेज दी गयी है । लेकिन जो भी ब्यवस्था उपलब्ध है वह सूत्रों के अनुसार अपर्याप्त है ।
वही बाढ़ का पानी कोहना आदि गांव में लोगो का जीना दुस्वार कर दिया है ।बिजुलियाडाँड़ के पास सड़क पार होकर पानी कासों ताल में गिर रहा है।बारांनगर में स्थित मा काली स्थान गुरुवार को ही जलमग्न हो चुका था ।गाँव मे भी बाढ़ का पानी घरों के अंदर घुस चुका है ।नदी के किनारे स्थित आशियाने पूरी तरह बाढ़ के जद में आ गए है ।कुछ लोगो तो निकल कर दुसरो के घरों में शरण लिए हुए है ।बाढ़ का पानी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र परिसर में दस्तक दे दिया है ।गोला बिद्युत उपकेंद्र पूरी तरह जलमग्न हो जाने के कारण गुरुवार से ही बिद्युत आपूर्ति बंद कर दी गयी है। क्षेत्र के लोगो के समक्ष एक तरफ बाढ़ का तांडव तो दूसरी तरफ बिद्युत आपूर्ति बंद होना एक बिकराल संकट के घेरे में डाल दिया है ।इस आपदा में बिजली न होने के कारण मोबाइल चार्ज न होने से एक दूर का सम्पर्क टूट चुका है।लोग अपने परिजनों शुभचिन्तको के हाल चाल से दूर दिखायी पड़ रहे है ।इस ब्यवस्था से जनमानस में असन्तोष ब्याप्त है।

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