किसान ने सूखाग्रस्त इलाके में लगाया पपीते का बाग, अब कमा रहे हैं लाखों का मुनाफा

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महाराष्ट्र के पंढरपुर जिले में किसानों ने 2 एकड़ में उगाये पपीते के बाग, इससे अब उन्हें सालाना 22 लाख रुपये हो रहा है फायदा 

समय के साथ कृषि पद्धतियों में बदलाव आया है, लेकिन प्रकृति की अनियमितताओं के कारण उत्पादन में कोई वृद्धि नहीं हो रही है.इसलिए किसान मुख्य फसल को छोड़ बागवानी की ओर रुख कर रहे है.वही महाराष्ट्र पंढरपुर जिले के रहने वाले दो किसान भाइयों ने दो एकड़ के खेत में पपीता लगाया था.अब उन्हें आठ महीने की कड़ी मेहनत और सही प्लानिंग के बाद 22 लाख रुपये अच्छा मुनाफा हो रहा है. किसानों भाइयो द्वारा किया गया ये प्रयोग अब अन्य किसानों के लिए प्रेरणा बन रहा है।

महाराष्ट्र के पंढरपुर जिले के मालशीरस तालुका में कान्हेर गांव रहने वाले किसान हैं. यह इलाका सूखे के रूप में जाना जाता हैं. बालासाहेब और रामदास सरगर ने आठ महीने पहले अपने दो एकड़ के खेत में पपीता के 2100 पौधों लगाए थे. और आज वही पपीता का पूरा भाग खिल उठा है.किसानों का कहना है कि उन्हें कम लागत मे सालाना 22 लाख तक का अच्छा मुनाफा मिल रहा हैं।

दुसरे राज्यों से हो रही है पपीते की मांग

किसानों ने बताया कि वर्तमान में उनके पपीते के बगीचे में एक पेड़ पर लगभग 60 से 80 फल लगते है. कान्हेर गांव के पपीता की मांग अन्य राज्यों से बढ़ रही है. सरगर किसान के पपीते की चेन्नई और कोलकाता से अधिक मांग हो रही है. कम उत्पादन और अधिक मांग के कारण पपीते की कीमत अधिक होती जा है।

पारंपरिक तरीके से लगाए पपीते के बाग

बिना रासायनिक खाद के पूरी तरह से पारंपरिक और जैविक खेती को अपनाकर किसान भाईयों द्वारा की गई लगाया गए पपीते के पौधें अब बाग के रूप में खिल रहे हैंं. साथ ही अच्छा उत्पादन भी मिल रहा है. किसानों द्वारा अपनाए गए जैविक खेती और सही प्लानिंग अब गांव के अन्य किसानों के लिए प्रेरणा बन गई है. इस साल प्रकृति की मार के कारण न केवल मौसमी फसल बल्कि बागवानी क्षेत्र को भी भारी नुकसान हुआ है.लेकिन, इस सूखे वाले क्षेत्र में ज्यादा नुकसान नही हुआ इसीलिए उत्पादन में वृद्धि हुई हैं।

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