महंगाई पर वित्त मंत्री ने कहा- बाकी मुल्‍कों से बेहतर स्थिति में भारत

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महंगाई पर वित्त मंत्री ने कहा- बाकी मुल्‍कों से बेहतर स्थिति में भारत

महंगाई पर चर्चा में सरकार और विपक्ष के बीच वाक युद्ध

नई दिल्ली। संसद में सोमवार को सियासी गतिरोध टूटा तो महंगाई के मुद्दे पर पक्ष और विपक्ष के बीच जमकर वाक युद्ध हुआ। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने भारत की अर्थव्यवस्था को ज्यादातर देशों से बेहतर स्थिति में बताया। जीएसटी संग्रह और परचेजिंग मैनेजर इंडेक्स (पीएमआइ) अर्थव्यवस्था के और मजबूत होने के संकेत दे रहे हैं। विपक्ष ने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए इसे बढ़ती महंगाई और कमजोर अर्थव्यवस्था के लिए जिम्मेदार ठहराया।
विपक्ष ने कहा– लोगों को घर चलाना हो रहा मुश्किल
विपक्ष ने यह भी कहा कि आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों के चलते लोगों को घर चलाना मुश्किल हो रहा है। महंगाई पर लोकसभा में चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री सीतारमण ने जुलाई में जीएसटी संग्रह 28 प्रतिशत बढ़कर 1.49 लाख करोड़ रुपये के दूसरे उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। अप्रैल में जीएसटी संग्रह सबसे ज्यादा 1.68 करोड़ रुपये हुआ।
वित्‍त मंत्री ने मंदी की आशंकाओं को किया खारिज
देश में मंदी की किसी भी तरह की आशंकाओं को खारिज करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि दूसरे देशों की तुलना में भारत का बैंकिंग क्षेत्र भी बेहतर स्थिति में है। सरकारी बैंकों का समग्र एनपीए छह साल के निचले स्तर 5.9 प्रतिशत पर पहुंच गया है। वित्त वर्ष 2021-22 में कल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की तुलना में सरकार का कर्ज भी घटकर 56.29 प्रतिशत पर आ गया है। महंगाई दर को भी सात प्रतिशत से नीचे लाने का प्रयास हो रहा है। सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से खाद्य तेलों की कीमतों में भी भारी कमी आई है।                                             कांग्रेस के मनीष तिवारी ने कहा कि अर्थव्यवस्था बजट, निवेश, उत्पादन, खपत और रोजगार के पांच मूल तत्वों पर आधारित होती है। सरकार की गलत आर्थिक नीतियों के चलते इन पांचों मूल तत्वों के परखचे उड़ गए हैं। यूपीए के 10 साल के शासन में 27 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए थे मगर कोविड के बाद 23 करोड़ लोग दोबारा गरीबी रेखा से नीचे चले गए हैं। भाजपा सरकार में अमीरों और गरीबों के बीच असंतुलन बढ़ा है।
मनीष तिवारी ने कहा कि आज देश का 77 प्रतिशत धन केवल एक प्रतिशत लोगों के पास है। आज देश के 92 अमीरों के पास इतना धन है जितना हमारी 55 प्रतिशत आबादी के पास है। नोटबंदी से करोड़ों रोजगार देने वाला एमएसएमई सेक्टर ध्वस्त हो गया। जीएसटी ने रही-सही कसर पूरी कर दी। कोविड का कुछ प्रभाव पड़ा है मगर अर्थव्यवस्था पहले से ही पतन की ओर बढ़ रही थी।पेट्रोल-डीजल पर टैक्स से सरकार ने खजाना भरा।
कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार ने आठ साल में पेट्रोल-डीजल पर 27 लाख करोड़ रुपये से अधिक उत्पाद कर वसूल अपना खजाना भरा है। लेकिन उसका लाभ जनता को नहीं दे रही है। जनता बेकाबू महंगाई से देश भर में त्राहि-त्राहि कर रही है। आज 40 करोड़ लोगों के पास ही काम है और आबादी के अनुसार 84 करोड़ लोगों के पास रोजगार होना चाहिए ताकि अर्थव्यवस्था आगे बढ़े।

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