फर्जी मालिक बनकर जमीन की रजिस्ट्री कराने वाले गिरोह का भंडाफोड़

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फर्जी मालिक बनकर जमीन की रजिस्ट्री कराने वाले गिरोह का भंडाफोड़

तीन आरोपित गिरफ्तार

आरोपितों ने रिक्शे वाले को एक लाख रुपये का लालच देकर भूमि का फर्जी मालिक बनाया

पुलिस ने तीन आरोपितों को गिरफ्तार करके जेल भेजा

विनय शर्मा
गोरखपुर। फर्जी मालिक बनकर भूमि का बैनामा करने वाले गिरोह को कैंट थाना पुलिस ने पकड़ा है। गिरोह के तीन सदस्यों को पुलिस ने गिरफ्तार करके जेल भेज दिया है। इसमें एक रिक्शेवाला है। आरोपितों ने रिक्सेवाले को भूमि का फर्जी मालिक बनाया। इस काम के लिए आरोपितों ने उसे एक लाख रुपये देने का वादा किया गया था।
पुलिस ने बताया कि पकड़े गए आरोपियों की पहचान गीता प्रेस रोड, राजघाट निवासी अंकित अग्निहोत्री, चक्सा हुसैन, गोरखनाथ निवासी मुन्ना अली मोहम्मद और शेखपुर, राजघाट निवासी सोनू उर्फ प्रजापति के रूप में हुई है। पुलिस अधीक्षक नगर कृष्ण कुमार विश्वनोई ने पुलिस लाइंस में पत्रकार वार्ता करके बताया कि मुकदमा दर्ज कराने वाले गगहा के गजपुर निवासी रविंद्र आरोपित अंकित अग्निहोत्री के साले के दोस्त हैं। इसके चलते रविंद्र कुमार से उसकी जान पहचान थी।
उन्होंने बताया कि रविंद्र अक्सर उससे जमीन खरीदने की बात करता था। इससे वह लालच में पड़ गया। उसे ध्यान आया कि शाहपुर निवासी उसके एक अन्य मित्र रमेश ने 2020 में उसे अपनी 28 डिसमिल भूमि बेचने के लिए दिखाया था। उनकी भूमि की अंकित ने भू-आलेख एप के जरिये खतौनी निकाल ली और रविंद्र कुमार को दे दिया। साथ ही उस जमीन को रविंद्र को दिखा भी दिया। रविंद्र को वह जमीन पसंद आ गई और वह उसे खरीदने को तैयार हो गए।
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि रविंद्र के बार-बार जमीन दिलाने की बात कहने पर वह परेशान हो गया। इस दौरान उसकी मुलाकात एक रिक्शेवाले से हुई। अंकित ने रिक्शेवाले से रमेश बनने की बात कही और एक लाख रुपये का लालच दिया। रिक्शावाला मुन्ना उर्फ अली मोहम्मद इसके लिए तैयार हो गया। अंकित ने उसकी फोटो खिंचवाकर गुलरिहा में जनसेवा केंद्र चलाने वाले सोनू उर्फ प्रजापति पांडेय से रमेश कुमार निवासी भिलौरा नौसड़ नाम से उसका फर्जी आधार कार्ड, पैन कार्ड और पहचान पत्र बनवा दिया। इसके बाद मुकदमे के वादी रविंद्र से पांच लाख रुपये अंकित ने अपने खाते में ले लिया। रुपये ट्रांसफर होने के बाद रविंद्र जमीन बैनामा कराने के लिए उस पर दबाव बनाने लगे। तीनों ने रविंद्र को एक जून 2022 को रजिस्ट्री कार्यालय बुलाया। इस दौरान तीनों की आइडी पर एक ही फोटो देख अधिवक्ता को शक हो गया। उन्होंने रिक्शेवाले से उसके पिता का नाम पूछा तो वह बता नहीं सका। इससे अधिवक्ता को उन पर संदेह हुआ और उन्होंने इसकी सूचना पुलिस को दे दी। पुलिस ने तीनों को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया।

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