गन्ने के फसल की ऐसे करें सुरक्षा
गन्ना विभाग ने जारी किया एडवाइजरी
के के श्रीवास्तव
गोरखपुर। गन्ना विकास विभाग ने गन्ना किसानों को आगाह करते हुए कहा कि अप्रैल माह से गन्ने की फसल में कीटों का प्रकोप प्रारम्भ हो जाता है, इस समय बसन्त कालीन गन्ने की फसल जमॉव अथवा व्यॉत की अवस्था में होती है। जिसमें गन्ने की पत्तियॉ एवं तने अपेक्षाकृृत मुलायम होते हैं, जिससे विभिन्न बेधक कीट गन्ने की फसल को नुकसान पहुॅचाते हैं। विभाग नें किसानों को सलाह दिया कि इस समय किसान भाई अपने फसल की नियमित निगरानी करें तथा कीट एवं उसके लक्षण दिखने पर यथाशीघ्र नियंत्रण करें।
एडवाइजरी में बताया गया है कि गन्ने के अंकुर बेधक कीट का प्रकोप माह अप्रैल से जून तक अधिक तापक्रम की दशा में होता है। इसकी सूड़ी मटमैले रंग की होती है तथा पीठ पर पॉंच बैंगनी रंग की धारियां पायी जाती हैं। इसकी सूड़ी पौधों के गोंफ को खाती हुई नीचे की तरफ जाती है जिसकी वजह से गोफ सूख जाती है जिसे मृृतसार कहते हैं। मृृतसार को आसानी से बाहर खींचा जा सकता है जिसमें सड़न जैसी गन्ध आती है। इसके यॉत्रिक नियन्त्रण हेतु प्रभावित पौधों को सूंड़ी/प्यूपा सहित काटकर नष्ट कर दें तथा नियमित अंतराल पर फसल की सिंचाई करते रहें। रासायनिक नियंत्रण के अन्तर्गत किसान भाई बुआई के 45 दिन के बाद प्रति हेक्टेअर की दर से फिप्रोनिल 40 प्रतिशत, इमिडाक्लोप्रिड 40 प्रतिशत डब्लू.जी. की 500 ग्राम मात्रा प्रति हेक्टेअर की दर से 1000 लीटर पानी के साथ मिलाकर डेªचिंग कर सिचाईं करें अथवा क्लोरपाइरीफॉस 20 प्रतिशत ई.सी. घोल की 5.0 ली. मात्रा 1875 लीटर के साथ मिलाकर प्रति हेक्टेअर की दर से खेत में डेªचिंग कर सिचाईं करें। अप्रैल के अन्तिम सप्ताह अथवा मई के प्रथम सप्ताह में क्लोरेन्ट्रेनिलिप्रोल (कोराजन) 18.5 एस.सी. का 375 मिली मात्रा का 1000 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयऱ की दर नैपसेक स्प्रेयर से जड़ों के पास ड्रेन्चिंग करने के उपरान्त सिंचाई कर दें।
जैविक नियत्रण के द्वारा भी हम इस कीट को नियंत्रित कर सकते हैं जिस हेतु अण्ड परजीवी ट्राइकोग्रामा काइलोनिस की 50,000 वयस्क/हे. की दर से 10 दिन के अन्तराल पर अवमुक्त करें तथा गन्ने के खेतों में माह मार्च से 20 से 30 मीटर की दूरी पर 10 फेरोमोन ट्रैप प्रति एकड़ की दर से अंकुर बेधक के ल्यूर के साथ ट्रैप में पानी व केरोसिन या डीजल ऑयल डाल कर स्थापित करें।
जड़ बेधक कीट जड़ को भी नुकसान पहुॅचाता है, इसकी सूड़ी का रंग सफेद, पीठ पर कोई धारी नहीं तथा सिर का रंग गहरा भूरा होता है। इस कीट का प्रकोप अप्रैल से अक्टूबर तक होता है। यह कीट गन्ने के नवजात पौधों एवं गन्नों को नुकसान पहुॅंचाता है। जड़ बेधक के नियंत्रण हेतु किसान बुआई के समय बवेरिया बैसियाना व मेटाराइजियम एनीसोपली की 5.0 किग्राप्रति हेक्टेअर की दर से मात्रा 1 या 2 कुन्टल सड़ी हुई प्रेसमड या गोबर की खाद में मिलाकर पहली बरसात के बाद डालकर गुड़ाई करें तथा रासायनिक नियंत्रण हेतु प्रति हेक्टेअर की दर से क्लोरपाइरीफॉस 20 प्रतिशत ई.सी. 5.0 लीटर अथवा इमिडाक्लोप्रिड 17.8 प्रतिशत एस.एल. 500 मिली को 1875 लीटर पानी के साथ घोल बनाकर आवश्यकतानुसार बुआई के समय अथवा प्रकोप के समय लाइनों में ड्रैन्चिंग करने के उपरान्त सिंचाई कर दें।
प्रदेश सरकार के गन्ना आयुक्त, गन्ना एवं चीनी संजय आर. भूस रेड्डी ने किसानों को बेधक कीटों के प्रति सचेत रहने एवं उनके रोक-थाम के उपाय ससमय करने की सलाह दी है ताकि उनको अधिक से अधिक उपज प्राप्त हो।