काला नमक धान का उत्पादन सरकार दे रही है बढ़ावा

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काला नमक धान का उत्पादन पिछले कुछ वर्षों में काले धान की खेती की ओर किसानों का रुझान बढ़ा है, बाज़ार में नई किस्म होने के चलते इसकी माँग भी अधिक है जिससे किसानों को इसके अच्छे भाव मिलने की संभावना बनी रहती है। ऐसी ही धान की एक किस्म है “काला नमक धान”। उत्तर प्रदेश राज्य के कई ज़िलों में इसकी खेती की जा रही है, जहां से इसका निर्यात भी किया जाता है। काले नमक धान को लेकर संसद में जबाब देते हुए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि काला नमक चावल पूर्वी उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थ नगर सहित 10 पड़ोसी ज़िलों के तराई क्षेत्र में ही उगाया जाता है। यह सुगंधित चावल की एक किस्म है जिसका किसानों को अन्य चावल किस्मों की तुलना में बेहतर मूल्य मिलता है।

काला नमक चावल को एक ज़िला एक उत्पाद योजना के तहत किया गया है शामिल

केंद्रीय कृषि मंत्री ने अपने जबाब में बताया कि काला नमक चावल को केंद्र प्रायोजित योजना के तहत उत्तर प्रदेश सरकार ने एक ज़िला एक उत्पाद कार्यक्रम के तहत शामिल किया है, जिसके तहत इसके उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि काला नमक चावल के संवर्धन के लिए 12 करोड़ रुपए की एक परियोजना को मंज़ूरी दी गई है।

सरकार इस तरह दे रही है काला नमक चावल की खेती को बढ़ावा

भारत सरकार ने कृषि और प्रसंस्कृत उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (अपेडा) के माध्यम से काला नमक चावल को बढ़ावा देने के लिए किसानों और हितधारकों के क्षमता निर्माण कार्यक्रम, कृषि निर्यात खेती, “काला नमक महोत्सव” का आयोजन, किसान उत्पादक संगठन fpo, निर्यातकों और किसानों के साथ समन्वय जैसी पहल की है। साथ ही देश के अलग-अलग कृषि अनुसंधान संस्थानों के माध्यम से काला नमक चावल पर अनुसंधान एवं विकास कार्य किए जा रहे हैं

इन योजनाओं के तहत काला नमक धान की खेती को दिया जा रहा है बढ़ावा

केंद्र सरकार देश के 24 राज्यों और जम्मू कश्मीर संघ राज्य क्षेत्रों के 193 ज़िलों में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन- चावल का क्रियान्वयन कर रही है। धान का उत्पादन बढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश के 21 ज़िलों को योजना के तहत शामिल किया गया है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन-चावल के तहत राज्य सरकारों के माध्यम से किसानों को फसल पद्धतियों के बेहतर पैकेज पर क्लस्टर प्रदर्शन, फसल प्रणाली पर प्रदर्शन, उच्च उपज वाली किस्मों/ संकर बीजों का वितरण, उन्नत कृषि मशीनरी/उपकरण, एकीकृत पोषक तत्व और कीट प्रबंधन तकनीक, प्रसंस्करण ओर फसल उपरांत प्रयोग उपकरण, किसानों को फ़सलन प्रणाली आधारित प्रशिक्षण आदि गतिविधियों के लिए सहायता दी जाती है

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