अयोध्या: अयोध्या के कारसेवक पुरम से शनिवार को शुरू हुई 84 कोसी परिक्रमा 4 जिलों से होकर 8 मई को अयोध्या में भंडारे के साथ समाप्त होगी।
रविवार सुबह सभी संत विधि विधान से पूजा अर्चना करने के बाद चौरासी कोसी परिक्रमा प्रारंभ करेंगे। 23 दिन की यात्रा पांच जनपद बस्ती, अंबेडकर नगर, अयोध्या, बाराबंकी व गोंडा के लगभग 110 गांव से होते हुए अयोध्या में समाप्त होगी।
परिक्रमा के संयोजक सुरेंद्र सिंह ने बताया कि अब तक 500 श्रद्धालुओं ने पंजीकरण करवा लिया है। रोजाना यह संख्या बढ़ती रहेगी।
अयोध्या स्थित विश्व हिंदू परिषद के मुख्यालय कारसेवक पुरम से शनिवार को 84 कोसी परिक्रमा के लिए हनुमान मंडल के संयोजन में 500 से भी अधिक संख्या में साधु-संत रवाना हुए। वहीं दूसरे गुट धर्मार्थ सेवा संस्थान के द्वारा बड़ी संख्या में साधु संत भजन कीर्तन करते हुए मखौड़ा धाम के लिए रवाना हुए।
पूरे परिक्रमा के दौरान 44 स्थानों पर पड़ाव बनाए गए हैं, जहां दोपहर व रात्रि विश्राम करके परिक्रमा 22 दिनों में पूरी होगी। केंद्र और प्रदेश सरकार ने 84 कोसी परिक्रमा मार्ग के विकास की वृहद योजना को स्वीकृति दे दी है।
क्या है महत्व
इस यात्रा में श्रद्धालु भगवान श्रीराम के राज्य के चौरासी कोस का भ्रमण करते हैं। माना जाता है कि भगवान श्रीराम की अयोध्या से चौरासी कोस का इलाका भी अयोध्या धाम में ही है। संत महात्माओं का कहना है कि सनातन धर्म में 84 लाख योनियां होती हैं तथा देवी देवता भी 84 कोटि होते हैं। इसलिए 84 कोसी परिक्रमा करने से मनुष्य को 84 लाख योनियों में भटकने से मुक्ति मिलने के साथ ही पुण्यफल की प्राप्ति होती है। मखौड़ा धाम में प्रतिवर्ष चैत्र पूर्णिमा को मेला लगता है और इसी दिन यहां बड़ी संख्या में साधु संत और गृहस्थ मखौड़ा धाम में एकत्रित होते हैं। यहीं से परिक्रमा अगले दिन वैशाख मास की प्रतिपदा को प्रारंभ होती है। इस मेले की खासियत यह है कि उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के अलावा देश के विभिन्न प्रांतों से लोग बड़ी संख्या में शामिल होते हैं। जिसमें बिहार और उत्तराखंड के श्रद्धालुओं की तादाद अधिक होती है।